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सोशल इंजीनियरिंग
हमें हमेशा लगता है कि किसी भी कंप्यूटर तो हैक करने के लिए हैकर का उससे किसी तरह से संपर्क करना ज़रूरी है। लेकिन यह सच नहीं है। हम कम्प्यूटरों की तरह नहीं चलते। उन्हें जो कार्य का निर्देश दिया जाता है, वे वही करते हैं। लेकिन हम मनुष्य बहुत सारे निर्णय मात्र तर्क से नहीं लेकिन भावनाओं की वजह से भी लेते हैं। हम निर्देश देनेवाले या याचना करनेवाले पर भरोसा करके भी कुछ कार्य करते हैं। हैकर्स यह जानते हैं और इसका फायदा उठाते हैं। जालसाज़ एक ज़माने से इसी तकनीक इस्तेमाल कर लोगों को उल्लू बनाते आये हैं।
धोखे का उपयोग कर जब किसी से उनकी गोपनीय या व्यक्तिगत जानकारी निकलवाली जाय तो उसे सोशल इंजीनियरिंग कहा जाता है।
क्या सोशल इंजीनियरिंग अपने आप में अपराध है?
सोशल इंजीनियरिंग एक तकनीकों का गुलदस्ता है जिनका उपयोग कर आपकी जानकारी निकाली जा सकती है। इनमें शामिल हैं:
१. फ़िशिंग अटैक उपयोगकर्ताओं को एक लिंक पर क्लिक करवाने का, फ़ाइल डाउनलोड करवाने का, या व्यक्तिगत जानकारी बिना सोचे समझे दिलवाने का प्रयास करता है।
२. फोन स्पूफिंग, या “विशिंग,” में स्कैमर द्वारा कॉल किया जा सकता है, जिसमें वह व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने का या पासवर्ड रीसेट करने का प्रयास करे।
३. एसएमएस स्पूफिंग का उपयोग कर स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं का डेटा या बैंक खाते की जानकारी चोरी की जा सकती है।
ये सभी तकनीकें एक झूठ को प्रस्तुत करती हैं जो किसी को अनजाने में उनके सर्वोत्तम हित के खिलाफ कुछ करने के लिए मना लेती हैं।
साइबर क्राइम और साइबरलॉ में सर्टिफिकेट कोर्स
जब हमें ट्रोल किया जाता है तो क्या करें? या जब हमें हैक किया जाय तब? या धोखा दिया जाय तब? अपने सभी साइबर सवालों के जवाब साइबर क्राइम और साइबरलॉ में सर्टिफिकेट कोर्स के साथ प्राप्त करें।
सोशल इंजीनियरिंग का जोखिम किसे है?
१. यदि आपके पास एक सुरक्षित सिस्टम है, तो आप एक संभावित लक्ष्य हैं।
२. यदि आप सार्वजनिक रूप से काम करते हैं, आपका नाम ज्ञात है, और आपकी संपर्क जानकारी आसानी से मिल जाती है, तो आप एक
संभावित लक्ष्य हैं।
३. यदि आप धनवान हैं, तो आप एक संभावित लक्ष्य हैं।
४. यदि आपके पास इंटरनेट पर पासवर्ड के पीछे किसी भी प्रकार की निजी जानकारी लॉक है, तो आप एक संभावित लक्ष्य हैं।
याने कि, कोई भी इसका शिकार बन सकता है।
सोशल इंजीनियरिंग से बचने के 3 आसान तरीके:
१. आप कौन सी जानकारी कहाँ दे रहें हैं, इस बारे में अवगत रहें।
२. समय समय पर नयी सुरक्षा तकनीकों से अपने आप को अवगत कराते रहें।
३. अच्छी नीतियाँ बना के रखें – कि अगर आपके साथ धोखा हो जाए तो आप या आपके आस पास वालों को क्या करना चाहिए।
यह वीडियो सोशल इंजीनियरिंग के खतरों से वाकिफ़ कराता है और इससे बचने की जानकारी भी देता है।
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